4 अक्टूबर को दिल्ली में एक 17 साल की निषाद युवती की मौत उस घर में हुई जहां वह काम कर रही थी. मौत से एकदम पहले अपनी मां को युवती ने फोन पर बताया था कि उसे घर के ड्राइवर के कमरे में सोने के लिए मजबूर किया जा रहा है. पुलिस ने बिना फॉरेंसिक जांच के परिणाम के लिए रुके ही कह दिया कि लड़की ने आत्महत्या की है और उसने परिवार से जबरदस्ती लड़की का अंतिम संस्कार करा दिया.
लड़की की मां का नाम कुसुम हैं और उन्होंने घर के मालिकों और ड्राइवर पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है. 26 अक्टूबर को दिल्ली के छात्रों ने कुसुम और उनके परिवार के साथ उत्तर पश्चिम दिल्ली के डीसीपी विजयंता आर्य के कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया. इससे पहले भी दो बार धरना-प्रदर्शन हुए हैं. विरोध प्रदर्शनों में पुलिस ने परिवार वालों, कार्यकर्ताओं और एक बार तो कारवां के पत्रकार के साथ भी हिंसा की थी. तीसरे धरना-प्रदर्शन के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार किया है और उसने सिर्फ सात दिनों के भीतर जांच करने का आश्वासन दिया है.